महामना मदन मोहन मालवीय के अथक प्रयास से ४ फरवरी १९१६ ई० को काशी हिन्दू विश्वविद्यालय लोकार्पित हो गया। भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार हेतु स्थापित यह विश्वविद्यालय पूरे देश में भारतीय संस्कृति पर आधारित शिक्षा पद्धति का एक नया मानक बना और इसी धारा को तत्कालीन गोरक्षपीठाधीश्वर महन्त दिग्विजयनाथ जी महाराज ने आगे बढ़ाते हुए १९३२ ई० में गोरखपुर में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद् की नींव रखी। ब्रिटिश हुकूमत को शिक्षा के भी क्षेत्र में भारतीय मनीषियों द्वारा यह कडी चुनौती थी कि भारत अपने पैरों पर खडा होने में समर्थ है, वह अपना तंत्र, अपनी शिक्षा, अपनी संस्कृति और अपने जीवन मूल्यों की पुनः स्थापना अपनी योजनानुसार करेगा। यह दूरदृष्टि थी कि देश जब आजाद होगा तब तक देश की व्यवस्था चलाने हेतु भारतीय पद्धति के शिक्षा संस्थानों से निकले युवाओं की फौज तैयार मिलेगी।
देश पराधीन था। जनता विपन्न थी। ज्ञान कौशल के अभाव में स्वाभिमान और राष्ट्रीय पुनर्निर्माण की चेतना का जागरण दुष्कर था। महन्त दिग्विजयनाथ जी महाराज अपनी संकल्प शक्ति के बल पर आजादी की लड़ाई के एक प्रमुख शस्त्र के रूप में शैक्षिक क्रान्ति के पथ पर भी आगे बढे । महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद् के अन्तर्गत १९३२ में बक्शीपुर में किराये के एक मकान में महाराणा प्रताप क्षत्रिय स्कूल प्रारम्भ हुआ। १९३५ में इसे जूनियर हाईस्कूल की मान्यता मिल गयी और १९३६ में यहाँ हाईस्कूल की पढाई प्रारम्भ की गयी तथा इसका नाम 'महाराणा प्रताप हाई स्कूल' हो गया। इसी बीच महन्त दिग्विजयनाथ जी महाराज के प्रयास से गोरखपुर के सिविल लाइन्स में पाँच एकड भूमि महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद को प्राप्त हो गयी और महाराणा प्रताप हाईस्कूल का केन्द्र सिविल लाइन्स हो गया तथा देश के आजाद होते समय यह विद्यालय महाराणा प्रताप इन्टरमीडिएट कालेज के रुप में प्रतिष्ठित हुआ।
१९४९-५० में इसी परिसर में महाराणा प्रताप डिग्री कालेज की स्थापना महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद् का अगला पड़ाव था। अगस्त १९५८ में महन्त जी ने महाराणा प्रताप डिग्री कालेज को गोरखपुर विश्वविद्यालय की स्थापना हेतु समर्पित किया और विश्वविद्यालय की स्थापना के आधार स्तम्भ बने। वर्तमान गोरखपुर विश्वविद्यालय का वाणिज्य संकाय आज भी उसी महाराणा प्रताप डिग्री कालेज भवन में चल रहा है तथा उसी परिसर में विश्वविद्यालय का एम.बी.ए., शिक्षा शास्त्र एवं वाणिज्य संकाय का नवीन भवन स्थित है। तत्पश्चात् महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद् ने ब्रह्मलीन महन्त दिग्विजयनाथ जी महाराज के नाम से वर्तमान दिग्विजयनाथ स्नातकोत्तर महाविद्यालय की स्थापना की, सम्प्रति यह विश्वविद्यालय परिसर से सटे महानगर का एक अति प्रतिष्ठित महाविद्यालय है।
महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद् द्वारा वर्तमान में दर्जनों शिक्षण संस्थाएँ गोरखपुर क्षेत्र में संचालित हो रही हैं। इनमें गोरखपुर महानगर में महाराणा प्रताप पालिटेक्निक, श्री गोरक्षनाथ संस्कृत विद्यापीठ, महाराणा प्रताप शिशु शिक्षा विहार एवं बालिका विद्यालय सिविल लाइन्स, दिग्विजयनाथ बी.एड. कालेज, महाराणा प्रताप टेलरिंग कालेज सिविल लाइन्स, महाराणा प्रताप शिशु शिक्षा विहार जू० हा० स्कूल रामदत्तपुर, महाराणा प्रताप महिला महाविद्यालय रामदत्तपुर, महाराणा प्रताप कृषक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, जंगल धूसड़,दिग्विजयनाथ पूर्व माध्यमिक विद्यालय, चौक माफी और महाराणा प्रताप सीनियर सेकेण्ड्री स्कूल, बेतियाहाता गोरखपुर प्रमुख हैं। महराजगंज जनपद में दिग्विजयनाथ इन्टर कालेज, चौक बाजार, दिग्विजयनाथ शिशु शिक्षा विहार चौक बाजार, परमहंस शिशु शिक्षा सदन, सोनाडी जंगल प्रमुख प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थाएँ हैं। जुलाई २०११ से महराजगंज जनपद के चौक बाजार में महन्त अवेद्यनाथ महाविद्यालय भी प्रारम्भ हो गई है। महाराणा प्रताप स्नातकोत्तर महाविद्यालय, जंगल धूसड इसी महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद द्वारा संचालित है।